हल्ला बोल
बीते साल का आखरी शाम था
नए साल का सबको इंतज़ार था
सहर के हर गली कूचे में छायी मस्ती थी
मैख़ाने में मदीरा उस दिन सस्ती थी
चारो ओर जश्न था, भीड़ था
फिर भी हालात काफी गंभीर था
बेकाबू नपुंसको का झुण्ड बावला हुआ
फिर द्रौपदी के सम्मान पर हमला हुआ
यह किस्सा सदियों से बारंबार हुआ
इंसानियत आज फिर से शर्मसार हुआ
मत रो बहन! वक़्त नहीं यह रोने का
तू आंसू पोंछ, वक़्त हैं सबक सीखाने का
डर मत! बाहर निकल! युद्ध कर
दुर्गा बन इस समाज को शुद्ध कर
हमसे हैं वो इस सत्य का एहसास दिला
इस अपमान में उनके बर्बादी का एहसास दिला
गर राधा हैं हम, तो हम काली भी हैं
हर नारी में छिपी एक लक्ष्मीबाई भी हैं
नपुंसको!! फिर न कहना "औरतो ने हर रिश्ता तार तार किया"
वो तुम्ही तो थे जिसने इंसानियत को शर्मसार किया
English Version:
Last night of the year it was
Waiting for New Year to ring in
Drinks were cheap at every bar
As this city too was celebrating
Crowded streets of merry-makers
Lost control of their senses
Some turned mischief-makers
and disrespected the damsels
This is repeat of a centuries old story
Once again humanity lost its glory
Don't cry my sister!! this is not that time
Wipe your tears, straighten your spine
Be Brave! Come out and fight
Cleanse the society through Durga's might
Through us they exist, teach them this lesson
Disrespecting us will lead to their annihilation
If we are Radha, we are Kali too
Behind every women, there's hiding a Laxmibai too!!
Let them say "Woman!! You lost all humane glory "
For it was them who first started this inhuman story!
Copyright: Shukla Banik
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