Monday, 19 September 2016

I Wonder- 9



Bengali Version

যাঁর হদিস পাওয়ার জন্যে আমি হন্যে হয়ে ঘুরি 
সে যে আমার মনের কোণে সদা খেলছে লুকোচুরি  
যুগ যুগ ধরে চলছে তাঁর অপেক্ষার এই খেলা 
যেদিন আমি জাগবো হবে পরম মিলন বেলা 
সবেই যদি সে আর সবই যখন তার 
কীসের এতো বিবিধতা, বিষাদ, অন্ধকার। 

ভাবছি?

Hindi Version

जिन्हें हमने ढूंढा हर मोहल्ला और गली 
वो सदा से मेरे मन में खेले आँख मिचौली 
युगों युगों का हैं यह इंतज़ार का खेल 
जो जागूँ तो सम्पन्न हो आत्मा से परमात्मा का मेल 
जब वो ही सब और उन्ही का हैं सब संसार 
कैसी ये बिबिधता, बिषाद, अंधकार 
सोच रही हूँ?


English Version

I was searching everywhere
He was hiding within
I was praying for his blessings
He was playing hide-n-seek
Through many centuries
The waiting game goes on
For my final awakening and
acceptance of our eternal bond
But if He is within all and
All are within Him
Then why disparity, despair,
and darkness still exists.
I wonder?

Copyright: Shukla Banik

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